tag:blogger.com,1999:blog-8126435261336202221.post5844006606300387836..comments2023-04-26T05:45:00.909-07:00Comments on नेस्बी: उसकी शादीकुशhttp://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-8126435261336202221.post-34301571006936286392010-02-17T20:17:54.908-08:002010-02-17T20:17:54.908-08:00yahi khaआज लोग जो पुराने अच्छे रीती रिवाज ही उनको ...yahi khaआज लोग जो पुराने अच्छे रीती रिवाज ही उनको तो ताक पर रख देते है और जो उनका स्वार्थ पूरा कर(चाहे कितने भी बुरे क्यों न हो ), उनको नही छोड़ सकते , ये सिर्फ mantility ही है, रिवाज नही.SomeOnehttps://www.blogger.com/profile/14159813226850989502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8126435261336202221.post-19516842955307915492009-06-15T01:24:01.093-07:002009-06-15T01:24:01.093-07:00नेस्बी, एक खुशनुमा एहसास
आइए आज ऐसे ब्लॉग की बात क...नेस्बी, एक खुशनुमा एहसास<br />आइए आज ऐसे ब्लॉग की बात करें जहां न तो ब्लागर का बखानों से भरा प्रोफाइल है, ना दंभ, ना आडम्बर और ना अनावश्यक बौद्धिकता. ये ब्लाग धीरे धीरे बहती निर्मल शांत नदी की तरह है जिसके किनारे की बयार में कहीं रात की रानी की महक है तो कहीं वनचम्पा की खुशबू. चलते हैं नेस्बी के किनारे. नेस्बी यानी सृजनशीलता का ऐसा दरिया जो आपको ताजगी का अहसास कराता है, संघर्ष के लिए प्र्रेरित करता है और पॉजिटिवटी से भर देता है. यह ब्लॉग महिलाओं के सम्मान, उनके अधिकार, उनकी संवेदनाओं, उनके वजूद की दास्तान है. यह ब्लॉग हर उस महिला के लिए है जिसे नारी होने पर गर्व है. <br />सही मायने में नेस्बी जिंदगी का एक ऐसा कैनवास है जिसमें आपनी अपनी पसंद के रंगों को भर सकते हैं. इसमें जिंदगी में उतार-चढ़ाव के इंद्रधनुषी रंग हैं. <br />इसमें पारुल की नानी मधुरा के रूप में उनकी नेस्बी के संघर्ष, अस्मिता और जीवन दर्शन का सारांश है तो मीता सोनी की पोस्ट 'उसकी शादीÓ में ऐसे संस्मरण हैंं जिसमें दहेज के दंश को झेलती नारी की टीस है तो मेल डॉमिनेटेड सोयायटी में पुरुष की लाचारी पर तीखा कटाक्ष भी. उन्नति शर्मा ने 'स्त्रियोचितÓ शीर्षक से अपनी पोस्ट में स्त्री होने के मायने और संबंधों की आर्टिफिशियलिटी पर सवाल उठाए हैं. नेस्बी में सिद्धहस्त लेखिकाओं के बीच श्रद्धा जैन जैसी डिब्यूटेंट ब्लॉगर भी हैं जिन्होंने 'हां, मैं पास हो गईÓ षीर्षक से अपनी पहली पोस्ट लिखी है. इसमें बाल मनोविज्ञान को समझने में एक महिला, एक टीचर की सेंसिटिविटी को इतने सहज और सरल ढंग से प्रस्तुत किया गया है कि लगता ही नहीं कि यह उनकी पहली रचना है.<br />इसके बाद की दो ब्लॉगर भी डिब्यूटेंट हैं. एक हैं पल्लवी त्रिवेदी और दूसरी हैं सई करोगल. पल्लवी मध्य प्रदेश पुलिस सेवा की अधिकारी हैं. सेल्फांफिडेंस और डिटरमिनेशन की मिसाल. पुलिस सर्विस की सपाट सख्त और कड़वी सच्चाइयों के बीच गजब का सेंस आफ ह्यूमर. उनके ब्लॉग 'कुछ अहसासÓ में उनकी पोस्ट 'साहब... एक शेर पकड़ा है वो भी गूंगा बहराÓ में इसे महसूस किया जा सकता है. सई करोगल की पोस्ट में जिंदगी के उतार-चढ़ाव और संघर्षों के बीच गजब की पाजिटिविटी है. इसी तरह मीता की पोस्ट में डॉल से दुुल्हन बनती नारी की खूबसूरत सी कहानी है. तो आइये संडे की सुबह http://nesbee.blogspot.com/ पर नेस्बी के साथ शुरू करें. दिन की इससे बेहतर शुरूआत और क्या हो सकती है.<br />- राजीव ओझा <br />Also see http://inext.co.in/epaper/Default.aspx?edate=6/14/2009&editioncode=2&pageno=18rajivhttps://www.blogger.com/profile/10917588871855963207noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8126435261336202221.post-34971217098497627222008-12-09T04:19:00.000-08:002008-12-09T04:19:00.000-08:00जाने कब यह प्रथा बंद होगी ...किसी को तो पहल करनी ...जाने कब यह प्रथा बंद होगी ...किसी को तो पहल करनी पड़ेगी ..रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8126435261336202221.post-55525277050987586832008-12-09T02:53:00.000-08:002008-12-09T02:53:00.000-08:00शर्म आती है जब हम ख़ुद को इंसान कहते हैं जबकि काम ...शर्म आती है जब हम ख़ुद को इंसान कहते हैं जबकि काम हैवानो सा करते हैं...ना जाने कब ये कुरीति दूर होगी हमारे समाज से...होगी भी या नहीं...क्या पता?<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8126435261336202221.post-49411112276705352102008-12-09T00:46:00.000-08:002008-12-09T00:46:00.000-08:00बुझे ज़ख़्मों को ख़ूब उकेरा है!बुझे ज़ख़्मों को ख़ूब उकेरा है!Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8126435261336202221.post-67155061088712837402008-12-09T00:40:00.000-08:002008-12-09T00:40:00.000-08:00समाज की इस कुरीति में अगर माँ बाप हिम्मत बाँध कर उ...समाज की इस कुरीति में अगर माँ बाप हिम्मत बाँध कर उस वक़्त शादी न होने दे तो अच्छा रहता है ,कम से कम ऐसे लोगो के साथ जीवन तो गुजारा नही जाता ,शायद इस प्रथा को हिंदू धर्म में लड़की को जायदाद के हिस्से के विकल्प के रूप में बनाया गया था ,पर हमारे समाज ने इसे अपने अनुरूप ढाल लिया है ...वैसे बरात लौटना भी दुल्हे के लिए शर्मसार होता हैडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8126435261336202221.post-58364101462581759432008-12-09T00:10:00.000-08:002008-12-09T00:10:00.000-08:00घटना पढ़ते- पढ़ते राजकुमार संतोषी की "लज्जा" की या...घटना पढ़ते- पढ़ते राजकुमार संतोषी की "लज्जा" की याद हो आई..हमारे यहाँ ऐसी परिस्थितियों में जमकर धुलाई की जाती हैL.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8126435261336202221.post-71969926668939005452008-12-09T00:07:00.000-08:002008-12-09T00:07:00.000-08:00अपने देश की यह विडम्बना है कि दहेज जैसी कुरीति बाव...अपने देश की यह विडम्बना है कि दहेज जैसी कुरीति बावजूद तमाम पढ़ाई-लिखाई के जारी है। जब तक युवा लड़के-लड़कियां इसके विरोध में नहीं आयेंगे मन से तब तक यह बदस्तूर जारी रहेगी। कुश जल्द ही उदाहरण पेश करें। इंतजार है। एक अच्छी, संवेदनशील पोस्ट!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8126435261336202221.post-62042876380555302042008-12-08T23:15:00.000-08:002008-12-08T23:15:00.000-08:00सोचता था शिक्षा हर कुरीति को ख़त्म करती है.. पर जब...सोचता था शिक्षा हर कुरीति को ख़त्म करती है.. पर जब ऐसे उच्च शिक्षित लोग ऐसा करते है.. तो घिन्न आती है.. दहेज एक ऐसी कुरीति है जिसको जल्द से जल्द रौंद देना चाहिए... मैं खुद से शुरुआत कर सकता हू..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8126435261336202221.post-5283875358550128162008-12-08T23:05:00.000-08:002008-12-08T23:05:00.000-08:00nafrat aur gussa jaayaz hai ..meeta.. jis din lad...nafrat aur gussa jaayaz hai ..meeta.. jis din ladkey khud bikney se inkaar karengey...ye kuprathaa usi pal khatm ho jaayegi!!पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.com